नेता जी सुभाष चन्द्र बोस और सिवनी जेल 
                                                     -अनिल वर्मा 


 

                                                                                                                


                  नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का नाम आज भारत रत्न को लेकर अकारण विवादों के घेरे में है , नेता जी की मौत भले ही रहस्यमय हो , पर आज भी वो हर देशभक्त भारतीय के दिल में जिन्दा है , मध्य प्रदेश की सिवनी जेल से भी उनकी यादों का ताना बाना जुड़ा हुआ है , ऐसे महापुरुष के पावन चरण जिस धरा पर पडे , वो धन्य हो गयी , सिवनी की जेल  भी नेताजी की स्मृतियों की गवाह है।  नेताजी जी को  कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की बैठक में भाग लेने हेतु कलकत्ता से बम्बई जाने के दौरान ट्रेन  रोककर कल्याण में  २ जनवरी १९३२ में गिरफ्तार किया गया था , फिर उन्हें आजादी के अन्य दीवानों के साथ मध्य भारत की सब-जेल सिवनी में निरुद्ध कर दिया गया , उन्होंने ३ जनवरी १९३२ से लेकर ३० मई १९३२ तक सिवनी जेल में अपने जीवन के १४७ दिन गुजारे थे , उन दिनों में नेताजी अपना भोजन खुद बनाते थे।

                नेताजी को स्वास्थ्य ठीक न रहने के कारण सिवनी से सेंट्रल जेल जबलपुर भेजा गया था , वह  टी. बी. रोग से पीड़ित थे , जबलपुर में भी कुछ दिन रखने के बाद  उन्हें मद्रास जेल भेज दिया गया था , नेताजी ने सन १९३३ में ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना जाने पर सिवनी में उनके साथ निरुद्ध साथी स्वाधीनता सेनानी देशपांडे जी को लिखे पत्र में सिवनी से जुडी यादों को याद किया था , उन्होंने लिखा था कि ' मै  सिवनी जेल से निकलने के बाद उत्तर और  दक्षिण की यात्रा करता रहा , अब वियना पहुँच गया हूँ , कृपया आप पत्र में सिवनी के बारे में विस्तार से लिखे और वहां के मेरे मित्रों को मेरी याद दिलाये। ' नेता जी यह तिहासिक पत्र आज भी सेंट्रल जेल जबलपुर में उनकी स्मृति के रूप में रखा हुआ है

                   स्वाधीनता उपरांत सिवनी की इस तिहासिक जेल की रिक्त हुई इमारत में केंद्रीय विद्यालय संचालित होने लगा था, अब यहां बाल संप्रेक्षण गृह संचालित हो रहा है , जहाँ  समाज से भटके हुए बालकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये अनेक रोजगारोन्मुख कार्य सिखाये जाते हैं। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की रसोई और उनके द्वारा उपयोग में लायी जाने वाली वस्तुएं यहाँ आज भी सुरक्षित रखीं हैं।


                                                                                      -अनिल वर्मा

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