My Baba Freedom Fighter Motilal Verma




                          मेरे बाबा श्री मोतीलाल वर्मा प्रखर देशभक्त एवं स्वाधीनता संग्राम सेनानी थे।सन १९०६ में म.प्र. के कटनी जिले में एक अमीर परिवार मे जन्म लेने के बादभी उन्हें कभी भी धन दौलत के प्रति कोई मो नहीं रहावह एक अच्छे पहलवान थे, उन्हें आखाड़े में कुश्ती लड़ने का बहुत शौक था। भारत माता को गुलामी की जंजीरों में देखकर देश की आज़ादी के लिए उनकी भुजाएँ फड़कने लगती थी। उन्होंने सन १९३० में महात्मा गाँधी के आव्हान पर ''जंगल सत्याग्रह'' मे भाग लिया, तब उन्हें माह कठोर कारावास की सज़ा दी गयी  थी ,ब्रिटिश हूकूमत ने उनकी और पूरे खानदान की सारी चल अचल संपत्ति जब्त कर ली, जबकि उस वक्त हमारे घर में बोरों से पैसा भरा रहता था, पर देश के लिए सब कुछ छिन गया ,उन्होंने किसी तरह संघर्ष करके पुरखों की २०० साल पुरानी हवेली को वापस खरीदा था   फिर सन १९४२ में उन्होंने ''अंग्रेजो भारत छोड़ो'' आंदोलन मे भाग लिया,उन्हें माह की जेल की सज़ा दी गयी और सारी संपत्ति जब्त कर ली गयी, इस बार वो पनप ना सके और फिर उन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों की दुकान पर मुंशी का मामूली काम करके घोर गरीबी में व्यतीत  किया था, पर उनका स्वाभिमान से तना शीश कभी नहीं झुका  ।


मेरे बाबा श्री मोतीलाल वर्मा को महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद के साथ भी काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ,सन १९२८ में जब आज़ाद झाँसी से इलाहाबाद जा रहे थे, तब उन्होंने रास्ते में पुलिस की नज़रों से बचाने में आज़ाद की मद की थी वह आज़ाद से दूसरी बार इलाहाबाद में गंगा नदी के एक सुनसान किनारे पर मिले थे.जहाँ आज़ाद नदी से फ़ुदक कर हवा में आ रही मछलियों को पिस्तौल से गोलियों का अचूक निशाना बना रहे थे।

  इस तरह मेरे बाबा ने हमारे देश की आजादी की लड़ाई में गाँधीवादी और क्रांतिकारी दोनों तरह के संघर्ष में भाग लेकर देश की महान सेवा की थी । उन्होंने देश के प्रति सेवाओं के लिए कभी कोई राजनीतिक प्रतिफल नहीं चाहा । सन १९३५ में डॉ.  राजेंद्र प्रसाद भी हमारे घर पधारे थे, जो बाद में देश के राष्ट्रपति बने थे। बाबा को आज़ादी के बाद सन १९७२ से उन्हें केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से स्वाधीनता संग्राम सेनानी पेंशन मिलती रही। वह बहुत शांत स्वभाव के सच्चे, सरल इन्सान थे , वह पूर्णतः आत्म निर्भर और स्वाभिमानी भी थे  सन १९९३ में कटनी में उनका निधन हुआ। मैं उनकी अपार प्रेरणा से ही शहीदों और क्रांतिकारियों पर पुस्तकें लिखकर देश की सेवा करने का छोटा सा प्रयास कर रहा हूँ ।
- अनिल वर्मा
                                            मोबा न. 09425181793


4 comments:

  1. Aise Veer desh bhakto se bahut Prerna milti hai.. Sat sat Naman !!

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  2. Sometimes I curse my fate for not having sight of such true son of " Mother India. " Sadar Naman.

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  3. feels proud to be born in family of great Indian Freedom Fighter.

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