Shaheed Saligram Shukla's Birth Centenary

                 आज़ाद के साथी :शहीद सालिगराम शुक्ल 


                                               चन्द्रशेखर आज़ाद  अपने नाम के अनुरूप  हमेशा आज़ाद ही रहें , पर देश  के नाम हो गयी उनकी जिन्दगी को बचाए रखने में कुछ योगदान उनके बहादुर साथियों का भी था ,जो सदॆव आज़ाद के लिये ढाल बने रहें / उन्ही में से एक क्रान्तिकारी  साथी थे सालिगराम   शुक्ल , जिन्होंने आज़ाद को बचाने  के लिए अपनें  प्राणों की आहुति  दे दी थी  / इस महान बलिदानी  क्रांतिकारी सालिगराम  शुक्ल की विगत १३ अप्रैल २०१३ को जन्मशताब्दी  थी ,पर यह अफ़सोस है कि देश में किसी  ने  इस गुमनाम शहीद को याद करने  की  जहमत भी नहीं उठायी । 
            
                                                        ८ अप्रैल १९१३ को  जन्मे  सालिगराम  के मन में  बचपन से ही देश की आजादी के लिए  कुछ करने की चाहत थी  । उन्होंने  कानपुर के डी.ए. वी. कालेज में  प्रवेश लिया था , जो उन दिनों  क्रांतिकारियों  का गढ़  बन चुका  था।  उन्होंने  क्रांतिकारी  दल में  प्रवेश करने के लिए  बहादुरी का परिचय दिया था , जब वह एक एक्शन के लिए इंदौर भेजे गए थे , एक्शन तो नहीं हुआ , पर वह २०-२५ भीलों  से मुकाबला होने  पर भी बच  निकले ,फिर  पुलिस के हाथो  पड़ने पर भी किसी तरह से अपना मौउज़र   पिस्तॊल  लेकर वापस लाने  में सफल रहे थे , वह  कानपुर में दल के विश्वस्त  साथी माने जाते थे। 

                                                        १ दिसम्बर १९३० की बात है।  उस समय तक  आज़ाद   के अलावा सभी प्रमुख  क्रांतिकारी  शहीद अथवा  गिरफ्तार हो चुके  थे , आज़ाद इन हादसों  से  विचलित होने के बावजूद  भी  दल के बचे कुचे साथियों  में किसी तरह से उत्साह  बनाये रखे हुए थे।  आज़ाद के निर्देश पर युवा क्रांतिकारियों की एक टोली निशानेबाजी  के  अभ्यास के लिए ग्रीनपार्क में   एकत्र  होने  वाली थी , आज़ाद को भी वहीँ पहुचना था , वैशम्पायन   आज़ाद के साथ थे।  सुरेन्द्र पाण्डेय उस दिन बड़ी  कठिनाई से गुप्तचरों  से पीछा छुड़ा सके थे , फिर भी रास्तें में उनकी सायकिल  धोखा  दे गयी , सालिगराम उनकी सायकिल  बदलनें के लिए डी.ए. वी. कालेज  हॉस्टल जा रहें थे, सुरेन्द्र पाण्डेय रास्ते  में रुके थे।  

                                            जब सालिगराम  कालेज के सामने पहुचे , तो सामने हॉस्टल की ओर  से सी. आय. डी. इंस्पेक्टर शम्भुनाथ के साथ  पुलिस का एक दस्ता  आता दिखाई दिया , पुलिस क्रांतिकारी  गज़ानंद पौदार को खोजने आई हुए थी ,अक्सिलियरी  फ़ोर्स  मुख्यालय की   तरफ से उन पर टार्च  की रौशनी पड़ी ,पुलिस ने उन्हें पहचान लिया था,शम्भू नाथ ने सालिगराम को बाहों  में जकड लिया ,पर सालिगराम  ने  खुद को छुड़ाकर  रिवाल्वर से लगातार फायर करना शुरू कर दिया ,उनकी पहली गोली का निशाना  एक सिपाही और दूसरी का निशाना   एक  पुलिस उपकप्तान  बना।   फिर सालिगराम  अपने साथियों को सावधान करने के लिए दो बार चिल्लाएं  ''पुलिस से सावधान ,पुलिस से सावधान '' , उनकी आवाज सुनकर चौकन्ने होकर सुरेन्द्र पाण्डेय  वहां  से बच  निकले।  परन्तु फिर गोलियों की जबरदस्त बौछार  आई और  सालिगराम  गोली लगने से वतन के लियें  शहीद  हो गये /उनकी खून से लथपत लाश सड़क पर पड़ी  हुई  थी , साइकिल और टिफिन बॉक्स भी पड़ा हुआ  था। थोड़ी देर बाद जब आज़ाद ,वैशम्पायन और नंदकिशोर  वहां  से गुजरे , पुलिस  आड़ में उनकी ताक  में थी , पर आज़ाद  ने  एक नज़र में ही पूरी स्थिति  भाँप  ली , उनके इशारे पर सब साथी बिना रुके  वहां से निकल गए, पुलिस आज़ाद को सामने देखकर भी न पहचान सकी।  आज़ाद ने बाद में काफी दुखी होते हुए यह  कहा था  कि ''आज हमने अपना एक बहुत ही बहादुर और भरोसे का साथी खो दिया है / ''

                         आज भी डी.ए. वी. कालेज  कानपुर  के सामने  सालिगराम शुक्ल  का स्मारक  बना हुआ है , जो कभी नौजवानों  और विधार्थियों  को  देशप्रेम के लिए प्रेरित करता  था।  आज स्मारक के सामने स्थित ग्रीन पार्क स्टेडियम में इंटरनेशनल क्रिकेट मैच देखने हजारो लाखो दर्शक आते  है , पर कोई  एक नज़र भी  उनकी प्रतिमा को नहीं देखता है ।  आज के युवाजगत के नायक क्रिकेटर है,  इन छदम नायकों के लिए हमने देश के वास्तविक महानायकों को भुला दिया  है ,यह विडम्बना है कि आज़ादी जिन कंधो पर चढ़कर आयी है ,उन्हें भुला दिया गया  है।  शहीद सालिगराम  की शहादत  को  भी हमने विस्मृत कर  दिया है।  भारत माता के इस महान सपूत को जन्मशताब्दी  पर  शत शत  नमन /
                                                                                                                                 -अनिल वर्मा 
Krantikari Saligram Shukal
Krantiveer Saligram Shukal
                                             

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