मीरपुर  पुलिस चौकी से जुडी भगत सिंह एवं बी.के. दत्त की यादें 
                                                                            
                                                                                                                           -अनिल वर्मा 


                                                                                                                   
 




                                              वतन की आज़ादी के लिए आन बान और शान से अपनी जिंदगी कुर्बान करने वाले अमरशहीद भगत सिंह की स्मृतिया इतिहास की अनुपम धरोहर है। इस महान युगपुरुष की यादों से जुड़ा हर स्थल स्वाधीनता का पावन एवं वंदनीय तीर्थ  है ,जिस धरा पर उनके चरण पडे  ,उसकी पवित्र माटी मस्तक पर तिलक कर नमन किये जाने योग्य  है।

                                  भगत सिंह और उनके साथी क्रान्तिकारी बटुकेश्वर दत्त ने सुसुप्त भारतीय जनमानस को जाग्रत करने के लिए दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट किया था , उस मामले में दिल्ली की सेशंस कोर्ट ने दिनाक १२ जून १९२९ को पारित निर्णय अनुसार उन्हें आजीवन निर्वासन की सजा से दण्डित किया था। भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त पर लाहौर षड़यंत्र प्रकरण में अन्य क्रांतिकारियों के साथ लाहौर में फ़ौज़दारी मुकदमा की सुनवायी होना थी ,इसके लिए भगत सिंह  को पंजाब की जिला जेल मियांवाली  और दत्त को सेंट्रल जेल  लाहौर भेजने का आदेश दिया गया था। उस मामले के विचारण में भाग  लेने के लिए और असेंबली बम केस में सजा भुगतने के लिए उन्हें दिल्ली से एक ही ट्रैन में अलग अलग डिब्बो में भेजा गया था. उस दौरान १४ जून १९२९ को उन्हें कुछ घंटे के लिए रात में डेराबस्सा के पिंड मीरपुर की एक पुलिस चौकी की हवालात में निरुद्ध रखा गया था . सन १८८१ की बनी यह प्राचीन पुलिस चौकी घग्घर रेलवे स्टेशन से महज़ २०० मीटर दूरी पर आज भी जर्जर हालत में मौजूद  है ।

                               शहीद भगतसिंह जागृति मंच पंचकुला के प्रधान जगदीश भगतसिंह एवं प्रख्यात इतिहासविद प्रो. एम. एम.जुनेजा की अगुवाई में हाल में एक प्रतिनिधि मंडल ने इस पुलिस चौकी का अवलोकन कर यहाँ परिचय पट्टिका लगाये जाने की मांग की है ,इस ऐतिहासिक तथ्य की जानकारी से मुझे हिसार के क्रान्तिकारी उपासक श्री विकास गोयल अवगत कराया है । यह संस्था और अन्य सम्बद्ध व्यक्ति इस शोधकार्य के लिए साधुवाद के पात्र  है।  वास्तव में सरकार को अमरशहीद भगत सिंह और क्रांतिवीर बटुकेश्वर दत्त की स्मृतियों से जुड़े इस ऐतिहासिक स्थल के निकट एक भव्य शहीद स्मारक बनाकर इसका समुचित प्रचार भी करना चाहिये ,ताकि हमारी भावी पीढ़िया इन महान क्रांतिकारियों के देशप्रेम और बलिदान की अनुपम गाथाओं से प्रेरणा अर्जित कर सके।
                                                                                                                           - अनिल वर्मा